स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मामले में पिछड़ा यूपी, 21 राज्यों की लिस्ट में 20वां नंबर




    नई दिल्ली: स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मामले में यूपी की हालत बहुत बुरी है. ये कहना है नीति आयोग की रिपोर्ट का. इस रिपोर्ट में सबसे निचले पायदान 21वें पर बिहार है और यूपी का नंबर 20वां है. रिपोर्ट के अनुसार संदर्भ साल 2015-16 की तुलना में 2017-18 में स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन सूचकांक में 5.08 अंक की गिरावट आयी है.

    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की 'स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आयी है.


    संकेतकों को स्वास्थ्य परिणाम (नवजात मृत्यु दर, प्रजनन दर, जन्म के समय स्त्री-पुरूष अनुपात आदि), संचालन व्यवस्था और सूचना (अधिकारियों की नियुक्ति अवधि आदि) और प्रमुख इनपुट/प्रक्रियाओं (नर्सों के खाली पड़े पद, जन्म पंजीकरण का स्तर आदि) में बांटा गया है.

    यह दूसरा मौका है जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की है. इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गयी थी. उसमें 2014-15 के आधार पर 2015-16 के आंकड़ों की तुलना की गयी थी.

    इस रिपोर्ट में पिछले बार के मुकाबले सुधार और कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग तीन श्रेणी में की गयी है. पहली श्रेणी में 21 बड़े राज्यों, दूसरी श्रेणी में आठ छोटे राज्यों और तीसरी श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है.

    रिपोर्ट जारी किये जाने के मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ''यह एक बड़ा प्रयास है...जिसका मकसद राज्यों को महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सुधार के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा के लिये प्रेरित करना है.''

    उन्होंने कहा, ''हम ऐसे राज्यों के साथ काम कर रहे हैं और जो सूचकांक में पीछे हैं, उनमें सुधार के लिये वहां ज्यादा काम करेंगे. जो आकांक्षावादी (पिछड़े जिले) हैं, उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी."

    आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने कहा, ''स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है...इसमें सुधार के लिये स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना और स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है.''

    नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि आयोग सालाना प्रणालीगत व्यवस्था के रूप में स्वास्थ्य सूचकांक स्थापित करने को प्रतिबद्ध है ताकि राज्यों का बेहतर स्वास्थ्य परिणाम हासिल करने की ओर ध्यान जाए.

    पिछली बार के मुकाबले सुधार के मामले में 21 बड़े राज्यों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश सबसे निचले 21वें स्थान पर है. उसके बाद क्रमश: बिहार, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड का स्थान है. वहीं शीर्ष पर केरल है. उसके बाद क्रमश: आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान हैं.

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