रियल एस्टेट सेक्टर की उम्मीद-अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए छूट


नई दिल्लीः बजट का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और इसके लिए 10 दिन से भी कम का वक्त बचा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने ढेरों चुनौतियां हैं और उनके सामने देश के हर सेक्टर से कई मांगें आ रही हैं. ऐसे वक्त में जब देश में आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी चल रही है और जीडीपी समेत कई आंकड़े आर्थिक वृद्धि की बेहतरीन तस्वीर पेश नहीं कर पा रहे हैं वित्त मंत्री को कड़े फैसले लेने होंगे.

हालांकि इन सब सेक्टर्स में ये एक रियल एस्टेट सेक्टर जिसका देश की जीडीपी में बड़ा योगदान है, वो वित्त मंत्री से उम्मीदें लगाए बैठा है कि उसे टैक्स बेनेफिट मिलेंगे, अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए टैक्स रेट में कमी की जाएगी और सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कुछ ऐसा होगा जो इसकी तस्वीर बेहतर कर पाएगा. हाउसिंग इंडस्ट्री की आशा है कि इस बार घर खरीदारों से लेकर हाउसिंग में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए भी कुछ इंसेंटिव्स का एलान हो पाएगा.

वित्त मंत्री से ये हैं उम्मीदें



  • इनकम टैक्स स्लैब में कई सालों से कोई बदलाव नहीं हुआ है तो इस बार हाउसिंग इंडस्ट्री भी ये उम्मीद कर रही है कि इस बार टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव हो सकता है. इसके अलावा हाउसिंग लोन की दरों में कुछ कटौती हो सके. इसके अलावा सेक्शन 80सी के तहत निवेश पर मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये से बढ़ा दी जाए जिससे लोग प्रॉपर्टी में निवेश कर सके.

  • हालांकि फरवरी 2019 में आए अंतरिम बजट में तत्कालीन अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्स रिबेट देकर 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इंकम तो टैक्स फ्री कर दिया है लेकिन उससे ऊपर के टैक्स स्लैब में 5 लाख से 10 लाख रुपये की इंकम पर जो 20 फीसदी का टैक्स लग रहा है उसे कम किए जाने की जरूरत हाउसिंग इंडस्ट्री जता रही है.

  • साल 2014 में सरकार ने लगभग एक दशक बाद सेक्शन 80 सी के तहत निवेश पर मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये तक कर दिया था लेकिन इसके बाद से 5 साल बीत चुके हैं और इसे बढ़ाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि इससे सरकार कोष पर बोझ बढ़ेगा लेकिन ये घर खरीदारों के हाउसिंग में निवेश करने की क्षमता निश्चित तौर पर बढ़ाएगा.

  • इसके अलावा सरकार को बैंकिंग सिस्टम में ऐसे बदलाव किए जाने की जरूरत है जिससे अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए जमीन खरीदने वालों को भी कुछ राहत मिल सके.

  • फिलहाल आरबीआई की तरफ से अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए जमीन खरीदने वालों के लिए कमर्शियल बैंकों द्वारा की जाने वाली फंडिंग पर रोक लगी हुई है जिसे बहाल किया जाना चाहिए, इससे अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए जमीन खरीदने वालों की संख्या में इजाफा होगा.

मोदी सरकार की 2022 तक सबको घर देने की महत्वाकांक्षी योजना है जिसके लिए निश्चित तौर पर सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे जो आम लोगों तक घरों की सुविधा पहुंचा सके. इसके लिए सरकार ने रेरा जैसे नियम भी पहले लाए हैं लेकिन इसके अलावा भी कुछ और ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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